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Sunday, August 1, 2010

बाघखोर आदमी .....

जंगल सिमटते जा रहे हैं
घटती जा रही है
विडालवंशिओं की जनसंख्या
भौतिकता की निरापद मचानों पर
आसीन लोग
कर रहे हैं स्यापा
छाती पीट -पीट कर
हाय बाघ;हाय बाघ.

हे बाघ !तुम्हारे यूं मार दिए जाने पर
दुखी तो हम भी हैं
लेकिन उन वानवासिओं का क्या
जिनका कभी आदमखोर बाघ
तो कभी बाघखोर आदमी के हाथ
बेमौत मारा जाना तय है .
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