घर गंधाने लगा है
िकसी अस्पताल की तरह
घर में सब हैं
माँ हैं ,पत्नी है ,बहन है ,भाभी है
पर सब लग रही है
नर्स की तरह
यहाँ से वहाँ विचरण करतीं
रोगी की कराह से
अप्रभावित ,स्पन्दन्हीन
लोग कहते हैं -
घर तो घर ही है
पहले था जैसा ,वैसा ही
तुम ही बदल गए हो
या फीर
लम्बे सफर की थकन के कारण
बीमार हो ंसंभवतः
मैं सोचता हूँ -
बहुत दीनों बाद
घर लोटने पर
ऐसा क्यों लगता है ।