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Sunday, January 13, 2008

एहितयात

गर्भ से नीकल कर
नर्स की नरम हथेलइयॉ पर
वह अवतरीत हुआ
और धरती को छू पाए
इससे पूर्व ही
उसे डाल दीया गया पालने में
झूलने के लीए ।

पालने से नीकल कर
धरती पर चलने के लिलए
जब वह मचला
तब उसके पैरों में
पहना दीए गये
मुलायम मोजे
और फीर
आरामदायक जूते ।

धरती पावों को न छू पाये
यह ऐह्तैयात जरूरी है
नहीं तो टूट जाएगा
सारा तिलस्म
पावों ने यदी पा लिया
धरती के स्पर्श का मर्म
तब वह स्वतः ही कर लेगा
बीमारी ,बुढ़ापे और मृत्यु से साक्षात्कार
तब कौन रोक पायेगा
सीद्धार्थ से बोधिसत्व होने की
ऐतीहासीक पुनरावृती।
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