लड़की नहाती है
तो उसके पोर -पोर मे समां जाते हैं
असंख्य जल -बिन्दु ,
तब वह सवथा ही मुक्त हो जाती है
गुरुत्वाकर्षण से
और चल देती है
हजारों प्रकाश वर्ष की अनंत यात्रा पर ।
लड़की नहाती है
तो वातावरण गुंजायमान हो उठता है
एक ऐसे आदि -गीत से
जिसमे शब्द अक्षरों से नहीं
प्रकट होते हैं चित्र बनकर ,
तब उभर आती है
एक काठ की नौका
जिसमे बैठकर
वह तिरती चली जाती है
आकाश की अथाह गहराइयों मे ।
लड़की नहाती है
तो उसकी देह से निकल कर
एक रहस्मय गमक
व्याप्त हो जाती है
समस्त सृष्टि मे
तब वह समय की
स्थापित परिबषाओं के
पार निकल जाती है ।
लड़की नहाती है
तो यह प्रक्रिया चलती है -
अनवरत
घंटों ,दिनों ,महीनों ,बरसों ,युगों ।
नहाकर सदेह वापस लौटते
आज तक
किसी ने किसी लड़की को
युगों -युगों से नहीं देखा .
तो उसके पोर -पोर मे समां जाते हैं
असंख्य जल -बिन्दु ,
तब वह सवथा ही मुक्त हो जाती है
गुरुत्वाकर्षण से
और चल देती है
हजारों प्रकाश वर्ष की अनंत यात्रा पर ।
लड़की नहाती है
तो वातावरण गुंजायमान हो उठता है
एक ऐसे आदि -गीत से
जिसमे शब्द अक्षरों से नहीं
प्रकट होते हैं चित्र बनकर ,
तब उभर आती है
एक काठ की नौका
जिसमे बैठकर
वह तिरती चली जाती है
आकाश की अथाह गहराइयों मे ।
लड़की नहाती है
तो उसकी देह से निकल कर
एक रहस्मय गमक
व्याप्त हो जाती है
समस्त सृष्टि मे
तब वह समय की
स्थापित परिबषाओं के
पार निकल जाती है ।
लड़की नहाती है
तो यह प्रक्रिया चलती है -
अनवरत
घंटों ,दिनों ,महीनों ,बरसों ,युगों ।
नहाकर सदेह वापस लौटते
आज तक
किसी ने किसी लड़की को
युगों -युगों से नहीं देखा .
2 comments:
अद्भुत सौंदयॆबोध ।
भाव और अनुभूित के स्तर पर किवता मन को बहुत गहराई से प्रभािवत करती है । कोमल अनुभूितयों की प्रखर अिभव्यिक्त से कविता बहुत हृदयस्पशीॆ प्रभाव छोडने में समथॆ हुई है ।
कई गंथ समेट दिए आपने इन पंक्तियों में-
नहाकर सदेह वापस लौटते
आज तक
किसी ने किसी लड़की को
युगों -युगों से नहीं देखा .
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