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Saturday, May 21, 2011

एलियन्स कहाँ नहीं हैं ?

 एलियंस कहाँ नहीं हैं ?
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सुबह- सवेरे बज़रिया दूधवाला खबर आयी.अब अमरीका धरती जैसे ८६ गृहों पर एलियंस की खोज करेगा.इसके लिए उसने अपने एक ग्रामीण इलाके में विशालकाय रेडियो दूरबीन भी  लगा दी है.इस दूरबीन के ज़रिये वह चौबीसों घंटे अपना खोजी अभियान जारी रखेगा.
अमरीका का तो काम ही है किसी न किसी को दूसरे मुल्कों की सीमा के भीतर जाकर तलाशना.उसके मानवरहित टोही विमान ड्रोन वजीरिस्तान में रात दिन टोह ले-ले कर बम यहाँ वहां गिराते रहते हैं.कभी किसी आतंकवादी के सिर पर तो कभी मासूम औरतों और बच्चों पर.मानवरहित विमानों से आप किसी मानवीय सरोकार की अपेक्षा भी कैसे कर सकते हैं.
इराक युद्ध के बाद उसने सद्दाम हुसैन को महीनों तक रेगिस्तान में तलाशा.वो मिला तो ओसामा बिन लादेन को कहाँ -कहा नहीं ढूँढा.एक दशक तक अमरीकी सेना उसे तोराबोरा की दुर्गम गुफाओं में बम गिरा-गिरा कर पकड़ने की जुगत में लगी रही.इस बीच ओसामा ओबामा के सबसे विश्वसनीय दोस्त पाकिस्तान के एबटाबाद की अपनी भव्य हवेली में मज़े से पोर्नोग्राफिक फिल्मों का आनंद लेता रहा.
सद्दाम हुसैन या ओसामा बिन लादेन को पकड़ना ढूँढना अपेक्षाकृत आसान था.अमरीका के पास उनके हजारों फोटो ,उनकी आवाज़ के नमूने,डीएनए संबधी शिनाख्त मौजूद थी.लेकिन एलियंस को ढूँढना आसान नहीं है.उसकी शिनाख्त का कोई वैज्ञानिक आंकड़ा तो उपलब्ध ही नहीं हैं.अभी तक एलियन की उपस्थिति सुने -सुनाये कहानी किस्सों और दंतकथाओं तक सीमित है.
 इस धृष्टता के लिए अमीरका मुझे क्षमा करे तो मैं अत्यंत विनम्रता के साथ कहना चाहता हूँ कि मुझे अमरीका के इस एलियन्स खोजी अभियान के  सफल हो पाने पर भारी संदेह है.इस अभियान की कार्य योजना में प्रथमदृष्टया खोट है.मैं यह समझ पाने में नितांत असमर्थ हूँ कि अमरीका एलियन्स को आखिर  धरती जैसे अन्य गृहों पर ढूढ़ ही क्यों रहा है.मेरे पास इस बात के पुख्ता सबूत है कि एलियन्स की मौजूदगी इसी धरती पर है.उन्हें खोजने के लिए किसी भारी -भरकम उपकरण या अत्याधुनिक तकनीक की कतई आवशयकता नहीं है.बस एक ईमानदार सोच और उसकी अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक निर्भीकता की ज़रूरत है.
दुनिया भर के आंकड़े मेरे पास नहीं हैं और न ही उन्हें जुटा
 पाने के लिए ज़रूरी संसाधन ही हैं.फिर मैं यकीन से कह सकता हूँ कि मेरे शहर में कम से कम १५० -२०० एलियन्स निवास करते हैं.तमाम सुख सुविधाओं से लैस अपने -अपने वातानुकूलित निरापद दुर्गों में स्वम्भू विशेषाधिकारों का लुत्फ़ उठाते इन एलियन्स पर धरती पर स्थापित कोई कानून प्रभावी नहीं होता.इनका प्रकृति प्रदत्त धूप हवा और पानी तक  पर पूर्ण नियंत्रण होता है.ये एलियन्स बहरुपिए हैं.कभी बाहुबली ,कभी व्यपारी नेता ,कभी समाजसेवक ,कभी मिशनरी पत्रकार ,कभी विनम्र धार्मिक उपदेशक तो कभी किसी राजनेता का वेश भरने में पारंगत. ये सर्वव्यापी हैं.इनकी पैठ सर्वत्र.सत्ता के गलियारों में इनकी तूती बोलती है पर इन्हें कोई दलाल कहने का दुस्साहस नहीं करता.अकादमिक हलकों में ये रसूखदार माने जाते हैं जबकि वास्तविक शिनाख्त तो भडवे की है.  उसके सार्वजानिक रूप से प्रकटीकरण में जान का  जोखिम अंतर्निहित है.
अमरीका के विलक्षण विज्ञानी और ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ द टाइम जैसी कालजयी पुस्तक के रचियेता स्टीफन हाकिंग आगाह कर चुके हैं कि एलियन्स हमारी आकाशगंगा पर निश्चित रूप से हैं लेकिन कभी  उनकी मुठभेड़ आदमी से न हो यही श्रेयस्कर है.गली -गली कूचे -कूचे में पैठ बनाए इन एलियन्स से सबसे अधिक खतरा है.इनकी पहचान  सरल नहीं है.अपनी परछाईयों से लड़ना सबसे कठिन होता है.अमरीका की दूरबीन इन्हें कभी नहीं ढूँढ सकती.


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